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हिंदी कहानियां - भाग 156

कौन बनेगा शिक्षा अधिकार दूत?


कौन बनेगा शिक्षा अधिकार दूत?   मीना के स्कूल में स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी चल रही है।  मीना और रानो स्कूल के सूचनापट पर उस कार्यक्रम से सम्बंधित एक पर्चा लगा रहीं है।  पर्चा उड़ गया.......जो उड़ता-उड़ता स्कूल के बाहर चला गया।     मीना और रानो, उड़ते हुए पर्चे के पीछे भागी।  तेज़ हवा चलने के कारण पर्चा उड़ते-उड़ते स्कूल से काफी दूर चला गया था।  आखिरकार वो पर्चा जा चिपका....सामने से आते हुए लालाजी की कमीज पे, लालाजी के साथ उनका पड़ोसी भोला भी था।    मीना भोला चाचा से कहती है, ‘भोला चाचा, १५ अगस्त को हमारे स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है।  उसी कार्यक्रम से सम्बंधित सूचना लिखी है इस पर्चे पे।   भोला- हुंह्ह....स्वतंत्रता दिवस समारोह, स्कूल का मतलब होता है-पढ़ाई, लिखाई और इम्तिहान.......उसका क्या?   रानो- लेकिन हमारे स्कूल में तो वार्षिक इम्तिहान होते ही नहीं।   भोला- अरे भई, अगर इम्तिहान ही नहीं होंगे तो तुम्हारी बहिन जी को कैसे पता चलेगा की किस बच्चे ने कितना सीखा? अगर इम्तिहान ही नहीं होंगे तो बच्चे दिल लगा के पढेंगे ही नहीं।   लालाजी ने भी सुर मिलाया, ‘ठीक कह रहे हो भोला। ’   मीना- लालाजी,भोला चाचा.....बहिन जी ने हर बच्चे से कहा है कि वो स्वतंत्रता दिवस समारोह में अपने-अपने माता-पिता को बुलायें....आप भी हमारे कार्यक्रम में आयेंगे ना।   भोला- हाँ-हाँ क्यों नहीं?   रानो, मीना स्कूल पहुंचे।  मीना ने सारी बातें अपनी बहिन जी को बताई   बहिन जी कहती हैं, ‘शिक्षा तो है हर बच्चे का अधिकार....शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत एक नियम सोच समझकर बनाया गया है कि आंठवी कक्षा तक किसी भी बच्चे को वार्षिक परीक्षा ना देनी पड़े ताकि बच्चों पर परीक्षा को लेकर कोई बोझ न पड़े। ....शिक्षा का अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि आंठवी कक्षा तक हर बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा प्राप्त हो।    मीना- बहिन जी जैसे लालाजी और भोला चाचा को ये बात पता नहीं थी, हो सकता है ऐसे ही कई बच्चों के माता-पिता ये बात ना जानते हों।  बहिन जी मेरे पास एक तरकीब है.....क्यों न हम स्वतंत्रता दिवस समारोह में शिक्षा के अधिकार से जुड़े सवाल जबाव का खेल आयोजित करें।  जिससे लोगों को इस विषय में जानकारी मिले।   बहिन जी- हूं...तरकीब तो बहुत अच्छी है....मीना, रानो प्रश्न उत्तर बनाने में मैं तुम्हारी मदद करूंगी। और स्वतंत्रता दिवस समारोह में गाँव के सभी लोग स्कूल में आये।  झंडा फहराने और राष्ट्र गान के बाद कार्यक्रम के मुख्य अथिति सरपंच जी मंच पे आये और बोले, ‘भाइयो,बहिनों और प्यारे बच्चों, आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई।  आज हमारे स्कूल के बच्चों ने प्रश्न उत्तर के खेल का आयोजन भी किया है जिसका नाम है- ‘कौन बनेगा शिक्षा अधिकार दूत’..अब मैं मंच पर आमंत्रित करूंगा रानो और मीना को.....।    (तालियों की गडगडाहट होती है। )   मीना- सभी का स्वागत है इस खेल में जिसका नाम है- ‘कौन बनेगा शिक्षा अधिकार दूत’   ये रहा पहला सवाल- सुशील और सौरभ दो भाई हैं, दोनों चौथी कक्षा में पढ़ते हैं।  लेकिन परीक्षा के बाद सुशील तो पाँचवी कक्षा में चला गया क्योंकि वो पास हुआ था लेकिन फेल होने के कारण सौरभ चौथी कक्षा में ही रह गया। ......अब बताइये क्या इस तरह किसी बच्चे को फेल किया जा सकता है?   सुमी जबाब देती है, ‘अब ऐसा नहीं किया जा सकता....वो इसलिए क्योंकि आंठवी कक्षा तक किसी भी बच्चे को कानूनन फेल नहीं किया जा सकता।  और हाँ....शिक्षक का दायित्व है कि वो प्रत्येक बच्चे की मदद करे। ’ बहिन जी जोड़ती हैं, ‘तभी तो आजकल परीक्षा नहीं ली जाती समीक्षा की जाती है। ’ तारा आगे कहती है, ‘ऐसा इसलिए भी है कि अक्सर परीक्षा के कारण बच्चे पर बहुत मानसिक दवाव पड़ता है। ’   अब अगला सवाल- रुखसाना के माता-पिता उसका दाखिला करवाने एक सरकारी स्कूल में गए लेकिन रुखसाना का जन्म प्रमाण पत्र न होने के कारण उन्हें दाखिला कराये बिना ही लौटना पड़ा।   रवि उत्तर देता है, ‘नहीं, ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि जब से शिक्षा एक कानूनी अधिकार बना है दाखिले की प्रक्रिया सरल करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र के अलावा आयु प्रमाण पत्र को भी मान्यता मिली है।   अब तीसरा सवाल- विद्यालय प्रबन्ध समिति की सभा में अभिभावक, अध्यापक और छात्र एक साथ हिस्सा लेते हैं ताकि स्कूल के विकास की योजना बनाई जा सके और स्कूल द्वारा सेवित क्षेत्रों से आने वाले बच्चों का ब्योरा तैयार हो सके।   ‘ये बात सही है। ’-सबीना जबाब देती है।   अब आज का आखिरी सवाल- इन तीन चीजों में से टीचर को क्या-क्या करना चाहिए- 1. टीचर को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल बच्चे के अनुकूल हो। 2. टीचर, शिक्षण और तैयारी के लिए हर हफ्ते निर्धारित घंटे स्कूल में उपस्थित होना चाहिए। 3. टीचर को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वो सभी बच्चों के प्रति एक सामान व्यवहार रखे। सभी ने दिया इस सवाल का सही जबाब इसलिए ये सब कहलाये ‘शिक्षा अधिकार दूत’   खेल ख़त्म होते ही लालाजी सरपंच जी के पास पहुंचे ...   लालाजी- सरपंच जी,.....क्या शिक्षा का अधिकार कानून हमारे गाँव के स्कूल और सभी बच्चों पे लागू होता है?   सरपंच जी जबाब देते है, ‘जी हाँ लालाजी, इस क़ानून के विषय में और अधिक जाने के लिए कोई भी अभिभावक मुझसे या बहिन जे से स्कूल आकर मिल सकता है।  इस अधिकार का एक लक्ष्य यह भी है कि बच्चे के माता-पिता और टीचर एक साथ मिलके अपने बच्चे के शैक्षिक विकास की योजना बना सकें। लालाजी- सरपंचजी, अब से मैं भी सबको शिक्षा के अधिकार के बारे में बताऊंगा।   मिठ्ठू चहका, ‘शिक्षा का अधिकार, प्रगति का आधार’

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